Tuesday, April 10, 2007

अपन बात - चेतन भारती

ये संग्रह 2001 में छपाय के उदीम होय रहिस । संग्रह के सबो कविता ल मोर साहित्यिक पिता गुरु हरि ठाकुर जी बांचे रहिन । तभे ओमन कहिन “चेतन मिहनत कस किसान मजदूर अउ भूईयाँ के जोन बात कविता म आथे ओखर स्वागत करना चाहिए । मेहा जानत हंव कविता अउ लेखन ले कोनो बड़ा भारी ताते-तात परिवर्तन नई आ जाय । तभो ले अपन जिम्मेदारी समझ के सरलग लिखते रहना चाही । तोर ए कविता मन ल पढ़के मोला आनंद आय हे जेखर बर मोर पूरा आशीर्वाद है” । ये मोर बर बड़ा दुर्भाग्य वाला बात होगे कि पूज्य हरि ठाकुर जी ल बीमारी आके घेर लिस । मोला ऊँकर सेवा करे के मौका मिलिस । जूलाई महिना ले उँकर ईलाज भोपाल में होय लागिस । उँकर 75 गीत ल अपन खर्चा ले “हँसी एक नाव सी” प्रकाशन करके 16 अगस्त 2001 में भोपाल जाके उँकर 75वाँ बरिस में प्रवेश करे के दिन सादर भेंट करेंव अउ उँकर आशीर्वाद पायेंव ।

3 दिसंबर 2001 के दिन हर मोरे च बर कास जम्मो साहित्यकार अउ छत्तीसगढ़ बर पीरा के दिन होगे, जोन दिन उँकर छइहां हमर मुड़ ले हट गे, अउ ओमन परम धाम पधार गीन । हमर बर अब्बड़ जान गाज गिरे के बात होगे । ये काव्य संग्रह “ठोमहा भर घाम” छपाए के हिम्मत नइ जुटा पावत रहेंव इही बीच हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी के साहित्यकार अउ माई समीक्षक डॉ. बलदेव ल भेट करेंव उँकर से मोला अबड़ हौसला मिलिस, मोर मन के बात ल जान के ये संग्रह बर अपन बीमार अवस्था के बावजूद प्रस्तावना लिखे के मोर ऊपर बड़ उपकार करिन । येला जिन्दगी भर नई भुला सकंव अइसे तो मोला सियान साहित्यकार आदरणीय स्व.नारायण लाल परमार जी, श्यामलाल चतुर्वेदी जी, स्व, विश्वेन्द्र ठाकुर के मया मिलिस, जोन हर मोर पूँजी आय । डॉ. विनय पाठक के सुग्घर दिसा देखई म आगू बढ़ेंव ।

किसान मजदूर गाँव के साथे साथ छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी ल पोटार के मया करइया मोर सियान बाबूजी हरि ठाकुर ले ये संग्रह “ठोमहा भर घाम” समर्पित हे ये संग्रह बर ज्यादा लिखे के जरुरत नइये तभो ले गांव गंवई में खेती खार कमइया धनहा म खटइया मनखे के दुख सुख के बात उंकर संस्कृति मंदरस कस बोली के बखान करे के प्रयास करे हौं । जम्मो साहित्यकार अउ पढ़इया संगवारी मन ल सौपत हँव । छपाय म जोन जोन के सहयोग मिलिस अउ साथ दिन उँकर मेह आभारी हंव । आपमन के पाती अऊ मया के अगोरा खाल्हे पता में रही । भाई लक्ष्मीनारायण कुम्भकार ‘सचेत’ साहित्यकार एवं कलाकार के आभारी हौं, राजकमल ल घन्यवाद हे ।

किताब तो छप गे रहीस फेर इंटरनेट मा येही किताब ला रखे बर युवा ललित निबंधकार, समीक्षक अउ जम्मो ला आघू बढोय म विस्वास करोइया भाई जयप्रकाश मानस के सुरता येही बेरा म करना मोर बर जरूरी होत है । वोह लगातार छत्तीसगढ़ राज के लेखक कवि मन के किताब मन ला दुनिया भर म बगराय बर जो अभियान के संचालन करत हे वोहर खूब मिहनत आउ ते पाय के प्रसंसा के बात बन गे हे । मंय जयप्रकाश ला ये बेरा म मन ले धन्यवाद देवत हों जाकर बिना येही किताब ह इंटरनेट म कभ्भू नइ आय सकतिस ।


0चेतन भारती
बजरंग चौक मठ पारा
रायपुर (छ.ग)

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