ढ़ोड़गी म पानी रहत ले
बरसा म नरवा गटागट गट
नदिया तिरे सपा-सप सब
सोसन भर दुनों झिंकत रइथे।
अटागे खेती सुखागे मेड़पार
खुशरगे आँखी होगे ठनठनपाल
ढ़ोड़गी ल नरवा नदिया खिजत रथे ।
धन रहत ले पलपलात मया
दुरिहा ल देखत मुचमुचात सगा
संग म खात पूछी हलात रथे।
देया के अंजोर म फाफामन
चुनाव के बेरा म नेतामन
झपात जोर के हाथ, हाल पूछत रथे।
खाय बर मिलत बनत हे सजन
खलास परगे कोठी झांके न एकोझन
अइसने स्वारथ म देश बाढ़त रथे।
Tuesday, April 10, 2007
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